#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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सांई दीजे सो रती१, तूँ मीठा लागे ।
दूजा खारा होइ सब, सूता जीव जागे ॥१९॥
स्वामिन् ! आप मुझे अपनी वह प्रेमाभक्ति१ दीजिये, जिसके द्वारा एक मात्र आप ही प्रिय लगेँ और आपसे भिन्न स्वर्गादि के सभी भोग अप्रिय लगने लगेँ तथा अज्ञान - निद्रा में प्रसुप्त जीवात्मा जग जाय ।
(क्रमशः)
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