मंगलवार, 26 मार्च 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*ज्यों ज्यों होवै त्यों कहै, घट बध कहै न जाइ ।*
*दादू सो सुध आत्मा, साधू परसै आइ ॥*
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साभार ~ @Punjabhai Bharadiya

एक झेन फकीर हुआ बोकोजू। उससे किसी ने पूछा कि मैं तुम जैसा कैसे हो जाऊं? तो उसने कहा कि तू रुक, जरा लोगों को चला जाने दे। वह दिन भर बैठा रहा आदमी— थक गया, परेशान हो गया, कोई न कोई मौजूद था। फिर सांझ जब सब चले गए तो उसने कहा कि अब देर न करो, दिन भर हो गया है बैठे—बैठे, मैं तुम जैसा कैसे हो जाऊं? तो बोकोजू ने कहा कि तू मेरे साथ बाहर आ।
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बाहर वृक्ष लगे थे बहुत, कोई छोटा था, कोई बड़ा था। बोकोजू ने कहा, देख, यह छोटा वृक्ष छोटा है, यह बड़ा वृक्ष बड़ा है। इन दोनों को मैंने कभी नहीं सुना चर्चा करते। न तो छोटे ने बड़े से पूछा कि मैं तेरे जैसा कैसे हो जाऊं? न बड़े ने छोटे से पूछा कि मैं तेरे जैसा कैसे हो जाऊं? क्योंकि छोटे में जो फूल खिलते हैं, वह बड़े में नहीं खिलते, बड़े सुगंधित हैं। और बडे की आसमान में ऊंचाई है, और छोटा आसमान में ऊंचा नहीं है। लेकिन ये एक—दूसरे से पूछते ही नहीं हैं, न तुलना करते हैं। 
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ये मेरी खिड़की के पास वर्षों से हैं। मैंने इनमें कभी गुफ्तगू नहीं सुनी, न कोई प्रश्न उठा। और ये दोनों एक से आनंदित हैं, इनके आनंद में रत्ती भर फर्क नहीं है। क्योंकि प्रत्येक ने अपने को स्वीकार कर लिया है। वह जैसा है, है। तू भी मुझसे मत पूछ, अगर तू सच में शांति चाहता है। तू मुझसे भी मत पूछ। तू जैसा है, वैसा है। और मैं जब तुझसे नहीं पूछता कि तेरे जैसा कैसे हो जाऊं, तो तू क्यों मुझसे पूछ रहा है?
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वह आदमी कहने लगा, लेकिन इसीलिए तो पूछ रहा हूं कि आप इतने शांत और आनंदित हैं और मैं इतना अशांत और दुखी हूं। इसीलिए तो पूछ रहा हूं कि तुम्हारे जैसा कैसे हो जाऊं ! तो बोकोजू ने कहा, मैं तुझे तरकीब भी बता रहा हूं लेकिन तू सुन ही नहीं रहा। मैं तुझे तरकीब तो बता रहा हूं कि मैं भी पहले तेरे जैसा ही दुखी और अशांत था, क्योंकि मैं भी किसी और जैसा होने की कोशिश कर रहा था। जब से मैं अपने ही जैसा होने को राजी हो गया, पीड़ा समाप्त हो गई।
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तुलना में दुख है, तुलना में ईर्ष्या है, तुलना में हिंसा है। छोड़ो तुलना ! किसी से मत तौलें अपने को। कोई अर्थ भी नहीं है, कोई उपाय भी नहीं है। राजी हो जाएं, जैसे हैं। और एक ही बात की फिक्र लें कि जो मैं हूं जैसा हूं वह पूरा का पूरा मेरे सामने कैसे प्रकट हो जाए।

ओशो.साधना सूत्र-1(प्रवचन-1)

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