#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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सब कुछ व्यापे रामजी, कुछ छूटा नाँहीं ।
तुम तैं कहा छिपाइये, सब देखो माँहीं ॥१५॥
रामजी ! हमारे अन्त:करणों में तो सर्व कामादिक विकार व्याप्त हो रहे हैं, कोई भी विकार छूटा हुआ नहीं है । यह हम सत्य ही कह रहे हैं, क्योंकि - आप तो हृदय में बैठे हुये सँकल्प की सूक्ष्म अवस्था को भी जानते हैं । फिर आप से क्या छिपाया जा सकता है ?
(क्रमशः)
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