#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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राखणहारा राख तूँ, यहु मन मेरा राखि ।
तुम बिन दूजा को नहीं, साधू बोलें साखि ॥१७॥
विश्व के रक्षक राम ! कामादि विकारों से मेरे मन की रक्षा कीजिये । इस कार्य को करने में सिवा आपके बिना अन्य कोई भी समर्थ नहीं है । ऐसा ही सँत - जन कहते आ रहे हैं ।
(क्रमशः)
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