शनिवार, 9 मार्च 2019

= सुन्दर पदावली(१६.राग सोरठ - १३/१) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १६. राग सोरठ (१३/१)=*
*वै सन्त सकल सुषदाता हो ।* 
*जिनकै हृदै नांव निज निर्मल,*
*प्रेम मगन रस माता हो ॥(टेक)*
*रोमंचित अरु गद गद बांनी,*
*पल पल पुलकति गाता हो ।*
*सर्ब भूत सौं दया निरन्तरि,*
*सीतल बैंन सुहाता हो ॥१॥*
*दरसन करत ताप त्रय भागै,*
*परसन पाप नसाता हो ।*
*मौंन रहै बूझै तैं बोलै,*
*कहै ब्रह्म की बाता हो ॥२॥*
ऐसे साधू सन्त समस्त सुखों के दाता होते हैं जिनके हृदय से प्रेमाभक्ति के रस के माध्यम से निरन्तर प्रेमरस बहता रहता है ॥टेक॥
प्रेमरस में विभोर होने के कारण उसकी विह्वलवाणी, क्षण क्षण में पुलकित होता हुआ शरीर, सभी प्राणियों के प्रति दयालु ॥१॥ 
मन को मुग्ध करने वाले शीतल वचन त्रिताप नाशक दर्शन, एवं पापनाशक शरीर स्पर्श, मौन रहने वाले, आवश्यक होने पर बोलने वाला तथा केवल ब्रह्मविषयक संवाद ही करने वाला हो ॥२॥
(क्रमशः)

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