बुधवार, 10 अप्रैल 2019

= विनती का अँग(३४ - २९) =

#daduji

॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
*श्री दादू अनुभव वाणी* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
*विनती का अँग ३४* 
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सब जीव तोरैं राम सौं, पै राम न तोरे । 
दादू काचे ताग ज्यों, टूटे त्यों जोरे ॥२९॥ 
सँपूर्ण प्राणी अविद्यावश हो भगवान् से अपना प्रेम सँबँध तोड़ रहे हैं अर्थात् भगवद् - भिन्न मायिक पदार्थों में आसक्त हो रहे हैं किन्तु भगवान् प्रेम सँबँध को कभी भी नहीं तोड़ते । वे तो सूत कातने वाली माता के समान प्राणियों का शिथिल प्रेम - तन्तु ज्यों - ज्यों टूटता है त्यों - त्यों अपने उपदेश रूपी हाथों से उसे जोड़ते रहते हैं ।
(क्रमशः)

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