#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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ऐसा कोई ना मिले, तन फेरि संवारे ।
बूढ़े तैं बाला करे, खै१ काल निवारे ॥३१॥
कोई ऐसा महापुरुष नहीं मिल रहा है, जो व्यर्थ चेष्टा से दूषित स्थूल शरीर को अविहित विषय - प्रवृत्ति से, कुलषित इन्द्रियों को विषयासक्ति से, छिन्न भिन्न हुये मन को और नाना विचारों से विचलित हुई बुद्धि को पुन: भगवत् - परायणता रूप उत्तम गुण से सजा दे, अज्ञान रूप वृद्धावस्था को हटा दे व ब्रह्म - साक्षात्कार रूप नित नूतन बाल्यावस्था की प्राप्ति करा कर काल के द्वारा होने वाली क्षीणता१ (खै=क्षय) को दूर कर दे ।
(क्रमशः)
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