#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*कहत दश अवतार जग मैं औतरे आई ।*
*काल तेऊ झपटि लीने बस नहीं काई ॥२॥*
*कौरवा पांडवा रावन कुम्भकरनाई ।*
*गरद वैसै भये जोधा षवरि नां पाई ॥३॥*
*घट धरें कोइ थिर न दीसै रङ्क अरु राई ।*
*दास सुन्दर जानि ऐसी राम ल्यौ लाई ॥४॥*
सुनते हैं, इस जगत् में दश अवतार समय समय पर हुए । उनको भी मृत्यु ने ग्रास बना लिया और किसी का वश नहीं चला ॥२॥
कौरव, पाण्डव, रावण, कुम्भकर्ण आदि योद्धा भी समय आने पर धूल में मिल गये । किसी को आज उनकी कोई खोज खबर(सूचना) भी नहीं है ॥३॥
हम को कोई भी देहधारी, भले ही वह राजा हो या रंक, यहाँ स्थिर नहीं दिखायी दिया । महाराज सुन्दरदासजी कहते हैं – यह बात समझ कर तुम राम से लय लगाओ ॥४॥
(क्रमशः)
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