#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*विनती का अँग ३४*
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*विनती*
दादू कहै - दिन दिन नवतम भक्ति दे,
दिन दिन नवतम नाँव ।
दिन दिन नवतम नेह दे, मैं बलिहारी जाँव ॥२२॥
२२ - २३ में भक्ति आदि के लिए विनय कर रहे हैं - भगवन् ! मेरी प्रार्थना है - आप मुझे प्रतिदिन तरुण रहने वाली नवधा भक्ति; नये - नये नाम और नामी के अभेद को प्रतिदिन दृढ़ कराने वाले विचार; तथा प्रतिदिन बढ़ने वाली प्रेमाभक्ति; देकर मुझे अपनाइये । मैं आप की बलिहारी जाता हूं ।
(क्रमशः)

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