शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*सहज शून्य सब ठौर है, सब घट सबही माहिं ।*
*तहाँ निरंजन रम रह्या, कोई गुण व्यापै नाहीं ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ परिचय का अंग)*
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साभार ~ oshoganga.blogspot.com

अगर अहंकार है तो कर्म है। कर्ता है तो कर्म है। और अगर अहंकाररहित धीरपुरुष बन गए, तो फिर कर्म भी हो तो भी कर्म नहीं।
निरहंकारधीरेण न किचिद्धि कृतं कृतम्।
फिर करते रहें तो भी कर्म नहीं होता।
मूल ध्यान रखें : कर्म को अकर्म में नहीं बदलना है, कर्ता को अकर्ता में बदलना है।
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कर्म को अकर्म में बदलने के कारण इस देश में बड़ी काहिली पैदा हुई। जमाने भर के काहिल, सुस्त, अपंग महात्मा हो गए। जिनके जीवन में कोई ऊर्जा न थी और जिनके जीवन में कोई मेधा न थी ऐसे व्यर्थ के लोग परमहंस मालूम होने लगे। इस भारत देश में बड़ी दुर्घटना घटी है। 
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प्रतिभाहीन, सृजनशून्य, जड़बुद्धि लोग समादर को उपलब्ध हो गए। क्योंकि कर्म छोड़ दिया। और कर्म छोड़ने से यह पूरा देश दीन और दरिद्र हो गया। और कर्म छोड़ने से इस देश की सारी महिमा खो गई। अगर गरीब हैं, भूखे हैं, बीमार हैं, परेशान हैं, सारी दुनिया में दीन—हीन हैं तो जिम्मेदारी स्वयं की ही है, कोई और नहीं। 
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इस गलत व्याख्या के लिए महात्मा जिम्मेवार हैं और तथाकथित पंडित जिम्मेवार हैं, पुरोहित जिम्मेवार हैं, जिन्होंने गलत व्याख्या दी। और जिन्होंने समझाया कि कर्म छोड़ दो, जिन्होंने कहा, संन्यास अकर्म का नाम है। संन्यास अकर्म का नाम नहीं है। सुनें सांख्य को, काश,सांख्य को सुना होता तो इस देश की कथा दूसरी होती।
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करें; सिर्फ अहंकार न भरे बस, मैं— भाव न रहे। परमात्मा को करने दो भीतर से। बांस की पोंगरी हो जाएं, गाने दो उसे गीत। गुनगुनाने दो। जो वह गुनगुनाना चाहे, गुनगुनाने दो। छोड़ दो उसे पूरा स्वतंत्र। कहें कि राजी हूं।तू जो गुनगुनाए, गुनगुनाऊंगा। तुझे जो करवाना हो, करूंगा। 
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जीवन कर्म है, ऊर्जा है। इसलिए अकर्म तो ठीक नहीं। अकर्म तो आत्मघात है। नहीं, अकर्ता बन जाएं तो कर्म में परमात्मा की महिमा प्रवाहित होने लगती है। कर्म भी दैदीप्यमान हो जाता है। कर्म में एक ओज, एक दूसरे ही आयाम की झलक आ जाती है।
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मनुष्य के छोटे से कर्म के आंगन में परमात्मा का आकाश झांकने लगता है। ऐसा व्यक्ति सारी स्थितियों में परमात्मा को देखने लगता है। सारे कृत्यों में उसकी ही छाया पाने लगता है। और जो भी करता है, अनुभव करता है, उसी के लिए समर्पित है।

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