रविवार, 28 अप्रैल 2019

= सुन्दर पदावली(२०.राग गौंड - १/२) =

#daduji

॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*यहु रसना करत पुकार पिव पिव प्यास है ।* 
*बाल्हा जैसै चातक लीन दीन उदास है ॥२॥* 
*ये श्रवन सुनन कौं बैंन धीरज नां धरैं ।* 
*बाल्हा हिरदै होइ न चैन कृपा प्रभु कब करैं ॥३॥* 
*मेरै नष शिष तपति अपार दुःख कासौं कहौं ।* 
*जब सुन्दर आवै यार सब सुष तौ लहौं ॥४॥* 
यह मेरी पिपासा के शमन के लिए ‘पीव पीव’ शब्द करता हुआ बार-बार पुकार रहा है । जैसे चातक अपने प्रिय चन्द्रमा के लिए दीनतापूर्वक उदास रहता है ॥२॥ 
मेरे ये कर्ण आपका शब्द सुनने के लिये अपना धैर्य छोड़ बैठे हैं । ‘मेरे प्रभु मुझ पर कब कृपा करेंगे’-यह चिन्तन करते हुए मेरा हृदय सदा दु:खी एवं चिन्तित रहता है ॥३॥ 
मेरे शरीर में नख से शिखा तक अपार दुःख की ज्वाला रहती है – यह दुःख में किससे कहूँ ! महाराज श्रीसुन्दरदासजी कहते हैं – जब मेरा प्राणप्रिय मित्र मेरे पास आये तो मुझको अपार सुखशान्ति मिले ॥४॥ 
(क्रमशः)

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