#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*मेरा प्रीतम प्रान अधार कब घरि आइ है ।*
*कहुं सौ दिन ऐसा होइ दरस दिषाइ है ॥(टेक)*
*ये नैंन निहारत माग इक टग हेरहीं ।*
*बाल्हा जैसैं चन्द चकोर दृष्टि न फेर हीं ॥१॥*
मेरे प्राणाधार प्रियतम घर में कब आवेंगे ? वह दिन कौन सा होगा, जब हमको वे अपना दर्शन देंगे ॥टेक॥
ये मेरे नेत्र उनके आगमन की प्रतीक्षा करते करते थक गये हैं, परन्तु चन्द्रमा के लिए चकोर के समान ही वे भी अपनी दृष्टि वहाँ से नहीं हटाते ॥१॥
(क्रमशः)
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