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🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*ऐसी सुरति राम ल्यौ लाइ,*
*हरि हृदय जनि बिसरि जाइ ॥*
*छिन छिन मात संभारै पूत,*
*बिंद राखै जोगी अवधूत ।*
*त्रिया कुरूप रूप कों रटै,*
*नटणी निरख बांस बरत चढ़ै ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. ३७५)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
##### गोरखवाणी #####
ब्यंद ही जोग ब्यंद ही भोग,
ब्यंद ही हरै चौसठि रोग ।
या बिन्द का कोई जांणैं भेव,
सो आपैं करता आपै देव॥१४८॥
दृढ़ संकल्प और साधना के बल पर वीर्य रक्षा के द्वारा योगसाधना की जा सकती है ।अधोगामी वीर्य मानव को विषयभोग में प्रवृत करता है । ब्रह्मचर्य पालन से तन मन को निरोगा रखा जा सकता है । बिंदु रक्षा के महत्व को जानकर ब्रह्मचर्य पालन करने वाला देवों की श्रेणी में स्थान पाने का अधिकारी हो जाता है ।
#### संस्कार बिन्दु पत्रिका द्वारा सांभरलेक जयपुर ###
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