शनिवार, 14 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 卐 सत्यराम सा 卐 🇮🇳🙏🌷
*सांसैं सांस संभालतां, इक दिन मिलि है आइ ।*
*सुमिरण पैंडा सहज का, सतगुरु दिया बताइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ## भाग १ ## मन*
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सम्यक सुन साधन किये, फल हो बिश्वा बीस ।
इक साखी सुन दादू की, मुक्त भया जगदीश ॥२६॥
जगदीश नामक एक वृद्ध को वैराग्य हुआ । वह धन आदि को त्यागकर गुरु की खोज में निकला और संत दादू का यश सुनकर आमेर में दादू आश्रम पर गया ।
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दादूजी का दर्शन कर उनसे प्रार्थना की - "भगवन ! मैं संसार ताप से सन्तप्त होकर आपकी शरण आया हूँ, आप कृपा करके मेरा उद्धार करे ।"
दादूजी बोले - "बाबा धैर्य रखो सब ठीक होगा । तुम इन संतों से सत्संग किया करो, ये लोग जो कहे उसे याद करके उसके अनुसार साधन किया करो ।"
वृद्ध - "जो आज्ञा वैसा ही करूंगा ।"
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एक दिन संत ने उसे दादूजी की यह साखी याद करा दी -
"दादू नीका नाम है, तीन लोक ततसार ।
रात दिवस रटबो करो, रे मन इहै विचार ॥"
तीसरे दिन वह वृद्ध सत्संग, आरती आदि में नहीं आया ।
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पांच-सात दिन बाद दादूजी ने पूछा - "उस वृद्ध का क्या हालचाल है ।"
संतों ने कहा - "वह तो आसन पर ही बैठा रहता है सत्संग आरती आदि में भी नहीं आता, केवल भोजन करने आता है ।"
दादूजी ने उसे बुलवाकर कहा - "सत्संग में भी नहीं आते ?"
वृद्ध - "एक दिन सत्संग किया था उससे समय नहीं मिलाता ।"
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दादूजी - "वह क्या ?"
वृद्ध ने उपयुक्त साखा सुना कर कहा - "रात दिन तो नाम रटे फिर सत्संग किस समय करूं ।" 
दादूजी - "ठीक है ऐसा ही करते रहो ।"
आगे चलकर जगदीश सिद्धकोटी के संत हो गये थे ।
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###

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