शनिवार, 14 सितंबर 2019

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*सांई कारण सब तजै, जन का ऐसा भाव ।*
*दादू राम न छाड़िये, भावै तन मन जाव ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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साभार ~ Tapasvi Ram Gopal
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ##भाग १ ##भक्त*
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*भक्त को बलियों से भय नहीं होता -*
हरि भक्तन को बलीन से, हो सकती नहिं भीति ।
दिल्लीपति परमेष्ठी को, छोड़ दिया सहप्रीति ॥४२१॥
देहली में परमेष्ठी नाम के एक हरि भक्त दर्जी थे । सिलाई बहुत अच्छी जानते थे । तत्कालिन बादशाह ने उनसे अति उत्तम जरी के कपड़े के दो तकिये बनाये थे । तैयार होने पर परमेष्ठी ने सोचा ये तो भगवान के योग्य है ऐसा विचारते-विचारते वे भगवत् प्रेम में बेसुधा हो गये और पुरी में रथ यात्रा देखने लगे ।
वहां जगन्नाथजी के नीचे के तकिये का वस्त्र का वस्त्र फट गया । सेवक लोग लाने गये किन्तु उन्हें देर होते देख कर परमेष्ठी से वह दृष्य देखा नहीं गया । उसनें एक तकिया भगवान को अर्पण कर दिया । 
फिर सुध आई तब देखा देखा तकिया एक ही है । एक ही बादशाह को दे दिया और पूछने पर कह दिया कि दूसरा भगवान के अर्पण हो गया । इससे बादशाह ने उनकों जेल में बंद कर दिया । 
जेल में ही भगवान ने उनको दर्शन दिया और बादशाह को स्वप्न में भय दिया । जागते ही बादशाह जेल में गया और परमेष्ठी को जेल से मुक्त करके क्षमा माँगी । 
### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ###
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
### सत्य राम सा ###

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