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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (७. कविता लक्षण. ३) =*
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*गणों के देवता और फल*
*मनहर*
*सब गुर मन लघु आदि गल भय जांनि,*
*सत इस अन्त लेहु मध्य जर मानिये ।*
*भूमि नाक चन्द तोय वायु सो गगन सूर,*
*अगनि हु आठ यह देवता बषानिये ॥*
*लक्षमण बुद्धि जस भय आयु भ्रमन स,*
*तरु बंशनाश रोग जर मृत्यु ठानिये ।*
*अष्ट गन नाम अरु देवता समेत फल,*
*सुन्दर कहत या कवित्त मैं प्रमानिये ॥३॥*
१.मगण : तीनों गुरु ऽऽऽ । पृथ्वी देवता । लक्ष्मी : फल ।
२.नगण : तीनों लघु । । ।, स्वर्ग देवता । बुद्धि : फल ।
३.भगण : आदि गुरु, दो लघु, चन्द्र देवता । यश : फल ।
४.यगण : आदि लघु, दो गुरु, जल देवता । आयु : फल ।
५.सगण : दो लघु, अन्त्य गुरु, वायु देवता । भ्रमण(विदेश गमन) : फल ।
(क्रमशः)
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