गुरुवार, 16 जनवरी 2020

= सुन्दर पदावली(२१. संस्कृत श्लोका: २) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (२१. संस्कृत श्लोका:) =*
*पृथ्वीवारिचतेजवायुगगनं शब्दादि तन्मात्रकम् ।* 
*बाह्याभ्यन्तरज्ञानकर्मकरणैर्नाना: हि यद्दृश्यते ॥* 
*तत्सर्वं श्रुतिवाक्यजालकथितं अन्ते च मायामृषा ।* 
*एकं ब्रह्म विराजते च सततं आनन्दसच्चिन्मयम् ॥२॥* 
पृथ्वी, वायु, जल, तेज एवं आकाश – इन पाँच तत्त्वों एवं गन्ध ......आकाश आदि पाँच तन्मात्राओं से तथा पाँच कर्मेन्द्रियों के सहकार से दृश्यमान विचित्र संसार में जो कुछ भी दिखायी देता है वह सब श्रुतिवचनों के प्रमाण से मायारचित ही समझना चाहिए । केवल एक ब्रह्म ही ऐसा है जो स्थायी है तथा सत्, चित्त् एवं आनन्दमय है ॥२॥
(क्रमशः)

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