॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (१३. बहिर्लापिका. २०) =*
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*उत्तम जन्म सु कौंन कौंन बपु चित्रत कहिये ।*
*ब्रह्मा षोज्यौ कवन कौंन पय ऊपरि लहिये ॥*
*धनुष संधियत कौंन कौंन अक्षय तरु प्रागा ।*
*दृग उन्मीलत कौंन कौंन पशु निपट अभागा ।*
*अब दान कवन कर दीजिये कौंन नाम शिव रसन घर ।*
*कहि सुन्दर याकौ अर्थ यह “नमोनाथ सब सुखकर” ॥२०॥*
(‘बहिर्लापिका’ उसे कहते हैं जहाँ अभिधेय अर्थ छन्द के बाहर से लिया गया हो ।)
उत्तम जन्म किसका कहा जाय ? मनुष्य का; क्योंकि मनुष्य जन्म में आ कर प्राणी भगवान् की प्राप्ति का उपाय कर सकता है ।
किसी प्राणी का शरीर चित्रित होता है ? मयूर का ।
ब्रह्मा ने किसकी खोज की थी ? सावित्री की ।
दूध के ऊपर क्या होती है ? मलाई ।
धनुष से किस साधन द्वारा लक्ष्य किया जाता है ? बाण से ।
प्रयाग क्षेत्र में कौन वृक्ष अक्षय है ? वट वृक्ष ।
निद्रारहित नेत्र किसके हैं ? देवता के । (देवता को निद्रा नहीं आती) ।
पूर्णतः मन्दभाग्य पशु कौन है ? गधा ।
दान किससे देते हैं ? हाथ से ।
मंगलकारी शब्द क्या है ? शिव(सुख) । सबका सामूहिक उत्तर है – नमो नाथ सब सुख कर(भगवान् को प्रणाम करना सर्वथा सुखदायी होता है ॥२०॥
(क्रमशः)
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