बुधवार, 8 जनवरी 2020

= सुन्दर पदावली(१८. अथ दीर्घाक्षरी) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*मनहर* 
*“झूठे हाथी झूठे घोरा झूठे आगे झूठा दौरा,* 
*झूठा बंध्या झूठा छोरा झूठा राजारानी है ।* 
*झूठी काया झूठी माया झूठा झूठै धंधा लाया,* 
*झूठा मूवा झूठा जाया झूठी याकी बानी है ॥* 
*झूठा सोवै झूठा जागै झूठा झूझै झूठा भाजै,* 
*झूठा पीछै झूठा लागै झूठै झूठी मानी है,* 
*झूठा लीया झूठा दीया झूठै षाया झूठा पीया,* 
*झूठा सौदा झूठै कीया ऐसा झूठा प्राणी है ॥२६॥* 
यह तुम्हारे द्वारा एकत्र की हुई भौतिक सम्पत्ति, जैसे हाथी, घोड़ा, सब झूठे(मिथ्या) हैं । इसी प्रकार, ये सब दृश्यमान स्त्री पुत्र राजा रानी भी सब मिथ्या ही हैं । तुम्हारा यह शरीर भौतिक सम्पत्ति, व्यापार, जन्म मरण आदि सब कुछ मिथ्या है । 
इसी प्रकार, तुम्हारा यह सोना, जागना, दिन भर की दौड़धूप, इधर उधर भागना दौड़ना, लौकिक कार्यों में व्यस्त रहना, मरना, जीना सब कुछ मिथ्या है । इस प्रकार मनुष्यों का समस्त सांसारिक कृत्य हमें तो मिथ्या ही प्रतीत होता है ॥२६॥ 
इस छन्द में सभी अक्षर गुरु हैं ।
(क्रमशः)

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