#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= (१८. अथ दीर्घाक्षरी) =*
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*मनहर*
*“झूठे हाथी झूठे घोरा झूठे आगे झूठा दौरा,*
*झूठा बंध्या झूठा छोरा झूठा राजारानी है ।*
*झूठी काया झूठी माया झूठा झूठै धंधा लाया,*
*झूठा मूवा झूठा जाया झूठी याकी बानी है ॥*
*झूठा सोवै झूठा जागै झूठा झूझै झूठा भाजै,*
*झूठा पीछै झूठा लागै झूठै झूठी मानी है,*
*झूठा लीया झूठा दीया झूठै षाया झूठा पीया,*
*झूठा सौदा झूठै कीया ऐसा झूठा प्राणी है ॥२६॥*
यह तुम्हारे द्वारा एकत्र की हुई भौतिक सम्पत्ति, जैसे हाथी, घोड़ा, सब झूठे(मिथ्या) हैं । इसी प्रकार, ये सब दृश्यमान स्त्री पुत्र राजा रानी भी सब मिथ्या ही हैं । तुम्हारा यह शरीर भौतिक सम्पत्ति, व्यापार, जन्म मरण आदि सब कुछ मिथ्या है ।
इसी प्रकार, तुम्हारा यह सोना, जागना, दिन भर की दौड़धूप, इधर उधर भागना दौड़ना, लौकिक कार्यों में व्यस्त रहना, मरना, जीना सब कुछ मिथ्या है । इस प्रकार मनुष्यों का समस्त सांसारिक कृत्य हमें तो मिथ्या ही प्रतीत होता है ॥२६॥
इस छन्द में सभी अक्षर गुरु हैं ।
(क्रमशः)
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