सोमवार, 2 मार्च 2020

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*जे उपज्या सो विनश है, कोई थिर न रहाइ ।*
*दादू बारी आपणी, जे दीसै सो जाइ ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ काल का अंग)*
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साभार ~ महन्त Ram Gopal तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *काल निरूपण*
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कृशा गौमती नाम की एक ब्ह्मराणी का पुत्र मर गया था । वह शव को लेकर बुद्धजी के पास आई । बुद्ध ने कहा - "जिस घर में कोई मृत्यु नहीं हुई हो, उस घर से एक मुट्ठी सरसों ला दो तो मैं तुम्हारे पुत्र को जीवित कर दूंगा ।" गौमती बहुत फिरी ऐसा घर न मिला । तब बुद्ध ने कहा - "सभी घरों में मृत्यु होती है, सब मरते हैं, तब तेरा पुत्र ही कैसे न मरेगा ।" गौमती समझ गई । उसका मोह बुद्ध के युक्तिपूर्वक उपदेश से नष्ट हो गया ।
मृत्यु सभी की होत है, इसमें नहिं संदेह ।
हरा बुद्ध ने इमि बता, गौमती का सुत नेह ॥४॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^

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