🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*सर्प केसरी काल कुंजर, बहु जोध मारग मांहि ।*
*कोटि में कोई एक ऐसा, मरण आसंघ जाहि ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शूरातन का अंग)*
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साभार ~ महन्त Ram Gopal तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *माता-पिता का कर्तव्य*
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श्री राम, लक्ष्मण और सीताजी पंचवटी आश्रम में बैठे थे कि रामजी के मन में लक्ष्मण की परीक्षा करने की आई । वे उठे और बोले - "लक्ष्मण ! सावधान, मैं थोड़ा घूम आता हूँ ।" किंचित दूर जाकर एक सुन्दर तोते का रूप बनाकर पंचवटी में एक वृक्ष पर बैठकर बोले - "निर्जन स्थान में पुष्पों को, फलों को, नवयौवन नारी को और कांचन को देखकर किसका मन नहीं चलता है ।"
शुक पक्षी का यह वचन सुनकर लक्ष्मणजी ने सोचा - यह कैसा तोता है, यह तो मानों मेरी परीक्षा सी ले रहा है । जिनके लिये यह कह रहा है वे सभी यहां हैं । कुछ सोच लक्ष्मणजी बोले - "हे शुक पक्षी ! जिसका पिता पवित्र हो और माता पतिव्रता हो, उन दोनों से उत्पन्न पुत्र का मन तेरे कहे हुए वा अन्य भी अशुभ मार्ग में नही जाता ।" इस कारण मात पिता को सदा अशुभ से बचते रहना चाहिये ।
शुचि पितु मां संतान का, मन न अशुभ में जात ।
पंचवटी में लखन ने, कही सुवा से बात ॥४॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^
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