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*झूठा साचा कर लिया, काँचा कंचन सार ।*
*मैला निर्मल कर लिया, दादू ज्ञान विचार ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *सत्य*
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एक सेठ के पुत्र में मद्यपान, वेश्या सेवन आदि बहुत अवगुण थे । सेठ को इससे बड़ा दु:ख था । एक दिन एक संत आ गये, सेठ ने उनसे प्रार्थना की कि - "आप कृपा करके मेरे पुत्र को समझाकर उसके दुर्गुण छुड़वा दो ।" संत ने लड़के को दुर्गुण छोड़ने को कहा। किन्तु लड़का बोला - "मैं तो इनको छोड़ नहीं सकता ।" सन्त ने कहा - "हमारी एक बात मानेगा ? लड़का- कहिये, क्या ? संत - "सत्य बोलने का नियम ले ले, कभी भी असत्य न बोलना ।" लड़के ने स्वीकार कर लिया । एक दिन वैश्या के जाने लगा कि पिता ने पूछ लिया, कहां जाता है लड़का यह सोचकर कि झूठ तो बोलना नहीं है और सत्य भी ऐसी बात पिता के सामने कैसे कही जा सकती है, कुछ न बोल कर वहां ही बैठ गया उसी दिन से वैश्यागमन भी छोड़ दिया । इसी प्रकार उसके सब दोष केवल सत्य बोलने से ही छूट गये और दिव्य गुण भी आ गये ।
सभी दोष सत से छुटें, इसमें संशय नांहि ।
वैश्य पुत्र के सब छूटे, रहा न एकहुँ मांहि ॥५१॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^
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