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*दादू वाणी प्रेम की, कमल विकासै होहि ।*
*साधु शब्द माता कहैं, तिन शब्दों मोह्या मोहि ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ शब्द का अंग)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु,* *मधुर वचन*
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पिक(कोयल), शुकादी(तोता मैनादिक) की वाणी सुनने में जो लोगों की रुचि होती है, उसमें एक मात्र कारण उनका मधुर भाषण होना ही है । इससे सूचित होता है कि मधुरता के साथ बोलने से भी पक्षी भी प्यारे लगते हैं, फिर यदि मनुष्य बोले तब तो अवश्य ही सबका प्रेम -पात्र होगा । इसमें क्या संशय है ?
मधुर गिरा पर सहज ही, प्रेम सभी का होय ।
पिक-शुकादि की भी सुनत, प्रेम सहित सब कोय ॥६६॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^^
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