मंगलवार, 9 जून 2020

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*संसार सागर विषम अति भारी, जनि राखै मन मोही ।*
*दादू रे जन राम नाम सौं, कश्मल देही धोई ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ पद्यांश. १८४)*
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साभार ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु*, *स्मरण भक्ति*
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कुंज पक्षी हिमालय के बर्फ पर अण्डा देकर इधर आ जाते हैं । अण्डों पर हजारों मण बर्फ चढ जाता है । किन्तु कूंज पक्षी अण्डों का स्मरण करते रहते हैं । उसके स्मरण के प्रताप से अण्डे गलते नहीं । वैशाख में गरमी से बर्फ गल कर बह जाता है, और अण्डे निकल आते हैं । उसी समय कूंजे वहां पहुंचती है और अपने अपने अण्डों को संभाल लेती है । यदि कोई कूंज इधर(बहुत दूर रहना) मर जाय तो उसके अण्डे गल जाते हैं । इससे सूचित होता है कि स्मरण में महान शक्ति है ।
स्मरण में अति शक्ति है, इसमें संशय नाँहि ।
कूंज अण्ड गलता नहीं, स्मरण से हिम माँहिं ॥६५॥
#### श्री दृष्टान्त सुधा सिन्धु ####
### श्री नारायणदासजी पुष्कर, अजमेर ###
^^^^^^^//सत्य राम सा//^^^^^^

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