🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
*कहि कहि क्या दिखलाइये, सांई सब जाने ।*
*दादू प्रगट क्या कहै, कुछ समझि सयाने ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ जरणा का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु*, *शम*
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एक संत कहीं जा रहे थे, बड़ी भूख लगी । समीप में कोई गांव दृष्टि नहीं आता था । मन का संकल्प उठा - भगवान से मांगू लूँ किंतु सावधान रहने से तत्काल विचार हुआ कि - प्रभु विश्वासी का यह काम नहीं । फिर संकल्प उठा कि - भूख के कारण व्याकुलता आएगी । इसलिये भगवान से धैर्य माँग लू । सचेत रहने के कारण पुन: विचार आया कि - धैर्य के समुद्र भगवान मेरे भीतर ही तो है । भक्त का योग क्षेम करने की भी उनकी प्रतिज्ञा है । फिर इस मन का कहना क्यों करूँ ? इस प्रकार विचार के संत शम को धारण करते हैं ।
निज सचेत रह जीत ते, मन को संत सुजान ।
नहीं संत ने भीख अरु, मांगा धीरज दान ॥२२३॥
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