मंगलवार, 24 नवंबर 2020

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🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*अन्तर सुरझे समझ कर, फिर न अरूझे जाइ ।*
*बाहर सुरझे देखतां, बहुरि अरूझे आइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ साँच का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी 
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*#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु*, *धर्माधर्म निरूपण*
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काशीराज की पुत्री अम्बा से विवाह करने को परसुरामजी ने भीष्म से आग्रह किया किन्तु भीष्म पहले प्रतिज्ञा कर चुके थे कि मैं विवाह नही करूंगा, इस कारण उनने परशुराम जी की बात न मानी, इस पर परशुरामजी ने भीष्म जी से युद्ध किया और सर्व संसार के क्षत्रियों के विजेता होने पर भी धर्मात्मा भीष्म से हार गये थे ।
धर्मात्मा जन का कभी, होत पराजय नाँहि ।
वीर भीष्म ने जय किया, परशुराम रण माँहिं ॥२८॥

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