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🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*आत्मराम विचार कर, घट घट देव दयाल ।*
*दादू सब संतोंषिये, सब जीवों प्रतिपाल ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ दया निर्वैरता का अंग)*
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साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
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*#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु*, *धर्माधर्म निरूपण*
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उशीनर के पुत्र राजा शिवि एक यज्ञ कर रहे थे, उसी समय एक कबुतर आकर उनकी गोद में छिप गया । पीछे से एक बाज आया शिवि ने अपने शरीर का एक पल(मांस) देकर कबूतर की रक्षा की थी । कबूतर अग्निदेव थे । बाज इन्द्र थे, शिवि के धर्म की परीक्षा के निमित्त थे । जब शिवि परीक्षा में पूरे उतरे तब दोनों देवता प्रसन्न होकर चले गये ।
धर्मात्मा नहिं करत है, शरणागत का त्याग ।
पल तक दे शिवि ने करी, रक्षा सह अनुराग ॥२९॥
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