शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

*राम सुमरत कुल उधरे*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
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*साधु जन संसार में, पारस प्रकट गाइ ।*
*दादू केते उद्धरे, जेते परसे आइ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*नमो सूत वक्ता सु,*
*मनो ऋषि सहस अठ्यासी ।*
*सुन भागवत पुराण,*
*भक्ति उर मांहिं उपासी ॥*
*चटड़ा द्वादश कोटि,*
*राम सुमरत कुल उधरे ।*
*जन प्रहलाद प्रसाद,*
*पाय संगति से सुधरे ॥*
*साधु सती अरु शुरवाँ,*
*हीरा खड़ग रु बाज ।*
*राघव अंश दधीच को,*
*कियो तिहूँ पुर राज ॥९०॥*
व्यासजी के सत्संग से सूतजी पुराणों के वक्ता हो गये हैं, उनको नमस्कार है । जिन अठ्यासी हजार ऋषियों ने नैमिषारण्य में श्रीमद्भागवतादि पुराण सुनना रूप सत्संग किया था और अपने हृदय में भक्ति द्वारा भगवान् की उपासना की थी उनको नमस्कार है । वे सत्संग से ही अति महान् बने थे ।
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भक्त प्रहलाद का कृपा प्रसाद प्राप्त करके तथा सत्संग करके द्वादश कोटि(प्रकार के) बालक विद्यार्थियों का सुधार हुआ था । वे सभी राम नाम का स्मरण करके संसार से पार हो गये है ।
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साधु, सती, शूरवीर, हीरा, खडग, घोड़ा ये सब अच्छी संगति से ही उन्नति को प्राप्त होते हैं । सत्पुरुषों की संगति से ही साधु और सती होते हैं । अच्छे वीरों के संग से ही शूरवीर बनता है । हीरा छेद निकालने वाले के संग से ही श्रेष्ठ बनता है । छेद निकालने से हीरा की कीमत पहले से सवाई हो जाती है । तलवार भी धार लगाना रूप सुसंग से श्रेष्ठ बनती है । घोड़ा सु शिक्षा से ही श्रेष्ठ बनता है । सत्संग का प्रभाव जड़ पर भी पड़ता है ।
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दधिचि ऋषि का अंश वज्र दधिचि के साधन रूप सत्संग से कितना महान् बन गया था, जिसके संग से इन्द्र ने त्रिलोकी का राज्य किया है । अतः सत्संग की महिमा अति महान् है । सत्संग अवश्य करना चाहिये ।
(क्रमशः)

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