#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
राम नाम जनि छाड़े कोई,
राम कहत जन निर्मल होई ॥
राम कहत सुख संपति सार,
राम नाम तिर लंघे पार ॥
राम कहत सुधि बुधि मति पाई,
राम नाम जनि छाड़हु भाई ॥
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True Indian ~
श्रीराम सेना को लंका पहुँचने के लिए समुन्द्र ने खुद पर पुल बांधे जाने की भगवान् श्रीराम जी को सलाह दी और कहा कि "आपकी सेना में दो नल और नील नाम के बन्दर हैं आप पत्थर पर "श्रीराम" लिखिए और उनके हाथों से पुल बनाने का कार्य शुरू करिए कोई भी पत्थर पानी में नहीं डूबेगा सब पानी पर तैरेंगे"|
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भगवान् श्रीराम ने समुन्द्र देव की सलाह मानते हुए सेतु निर्माण का कार्य प्रारंभ करवा दिया, उस पार लंका में जब ये खबर पहुँची कि जो व्यक्ति लंका पर आक्रमण करने आ रहा है वो तो इतना मायावी है कि उसके नाम से पत्थर भी पानी में तैर रहे हैं, तो लंका की प्रजा में भय का माहौल व्याप्त हो गया|
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जब यह बात रावण को पता चली तो उसने जनता का भय दूर करने के लिए कहा कि ये कोई बड़ी बात नहीं हैं पत्थर तो मेरे नाम से भी तैर सकता है और अगले दिन उसने अपनी प्रजा को समुद्र के किनारे बुलाया और पत्थर पर उसने रावण लिखा और पानी में डाल दिया, आश्चर्य की रावण लिखा हुआ पत्थर भी तैर गया प्रजा अपने राजा से संतुष्ट होकर वापस लौट गयी|
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परन्तु जब शाम को रावण अपने रनिवास में पहुंचा तो मंदोदरी ने रावण से कहा कि हे प्राणनाथ मुझे आपके बल पर तनिक भी संशय नहीं परन्तु इतना जरुर जानती हूँ की नाथ आपके नाम से पत्थर पानी पर बिलकुल तैर नहीं सकते प्राणनाथ आखिर ये चमत्कार आपने कैसे दिखाया ?
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रावण ने कहा कि यह सच हैं प्रिये कि मैं लाख मायावी हूँ बलशाली हूँ परन्तु पत्थर मेरे नाम से नहीं तैर सकता वो तो मैंने पत्थर पर अपना नाम लिखा और पानी में छोड़ने के पहले बोला तुम्हे श्रीराम की सौगंध है पानी में डूबना नहीं और पत्थर तैर गया...
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ऐसी महिमा है श्रीराम की, जय श्री राम
--सौजन्य -Sneha Garg

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