बुधवार, 31 मार्च 2021

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🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*अंधे हीरा परखिया, कीया कौड़ी मोल ।*
*दादू साधू जौहरी, हीरे मोल न तोल ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---मनुज देह
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एक विचार शील सेठ के पास जाकर एक गरीब ने कहा - "मैं भूखा हूँ मेरे पास कुछ नहीं है, आप मुझे कुछ सहायता दें ।" सेठ - "तुम तो बहुत बड़े धनवान ज्ञात होते हो ।" गरीब - "आप मुझ से हंसी कर रहे हैं, मेरे पास क्या है ?" सेठ - "नहीं-नहीं, तुम्हारे पास बहुत धन है । फिर भी तुम कहते हो तो लो २०)रु० और अपने हाथ की एक अंगुली दे दो।" गरीब नट गया । सेठ - २००)रु० दूंगा एक हाथ दे दो ।" गरीब नट गया, इसी प्रकार कहते कहते सेठ ने कहा - एक लाख देता हूँ अपना सिर काट कर दे दो । तब भी गरीब नट गया । सेठ - "एक लाख से तो अधिक कीमती तुम्हारा सिर है फिर भी तुम कहते हो कि मेरे पास कुछ नहीं ।" गरीब लज्जित हो गया ।
मनुज देह ही महा धन, इस में संशय नांहि ।
इक अंगुली भी दी नहीं, बीस रूपयों माँहिं ॥८७॥

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