बुधवार, 31 मार्च 2021

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*दादू करणहार जे कुछ किया,*
*सो बुरा न कहना जाइ ।*
*सोई सेवक संत जन, रहबा राम रजाइ ॥*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु ---माता पिता की भक्ति
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शान्तनु पुत्र भीष्मजी ने अपने पिता के अभिप्राय को जानकर पिता की बिना आज्ञा ही सत्यवती के पिता से उसे अपनी माता के रूप में मांगा और अपना विवाह नहीं करने की दृढ प्रतिज्ञा की थी । यह कथा भहाभारत आदि पर्व में विस्तार से है ।
उत्तम पुत्र - अभिप्राय लख पिता का, 
कार्य करै सुत आर्य ।
किया भीष्म ने पिता का, हितकर सत्बर कार्य ॥२५॥

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