🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*विष अमृत घट में बसै, विरला जानै कोइ ।*
*जिन विष खाया ते मुये, अमर अमी सौं होइ ॥*
==================
साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
.
श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- अति उत्तम पिता
#######################
एक माता का बच्चा जब किसी की कोई वस्तु ले आता तो माता प्रसन्न होती तथा वैसे ही और लाने के लिये कहती । इस कारण वह बच्चा चोर हो गया । एक समय उसने राजमहल में चोरी की, और पकड़ा गया, राजा ने उसे शूली देने की आज्ञा दे दी । शूली पर चढने के समय उससे पूछा - "यदि तू किसी से
मिलना चाहे या कुछ कहना चाहे तो बोल ?"
.
उसने कहा 'मेरी माँ को बुलवादो।' माँ आई, उसे आती देख, दौड़कर अपने दांतों से उसने माँ का नाक काट डाला । माँ ने कहा - "अरे ! यह क्या किया ?" जो तू तो मर ही रहा है और मुझे भी नकटी कर दिया ? पुत्र ने कहा - 'यह तेरे पाप का फल है, जो मैं आज शूली पर चढाया जाता हूँ । यदि बच्चेपन में तू मुझे चोरी से रोकती तो मैं आज शूली पर नहीं चढाया जाता ।'
.
विशेष - "आज उपरोक्त कोटि की माताएँ अपनी संतती को विविध बुराईयां सिखाती हैं । हाथ में डंडा देकर बच्चे को कहती है - "यह तेरा पिता आया है उसे डंडा मार, ले मेरी चोटी पकड़ कर खींच, उसे गाली दे" इत्यादि बातें बच्चों को सिखाई जाती हैं । उनका परिणाम फिर बुढापे में उन्हें ही भोगना पड़ता है । लड़के माता पिता के विरुद्ध चलते हैं, चोटी खींचते हैं ।
सुत को चोरी आदि जो, सिखात सो दुख पाय ।
नाक कटायी मातु ने, सुतको चोरि सिखाय ॥१३॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें