बुधवार, 30 जून 2021

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🌷 *#०दृष्टान्त०सुधा०सिन्धु* 🌷
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*सब ही मृतक देखिये, किहिं विधि जीवैं जीव ।*
*साधु सुधारस आणि करि, दादू बरसे पीव ॥*
*(श्री दादूवाणी ~ साधु का अंग)*
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साभार विद्युत् संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी
साभार ~ ### स्वामी श्री नारायणदासजी महाराज, पुष्कर, अजमेर ###
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श्री दृष्टान्त सुधा - सिन्धु --- *१ श्रवण भक्ति*
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*॥ श्रवण से मृत्यु के समय भी लाभ ॥*
मरण समय भी श्रवण से, लाभ होत प्रख्यात ।
कशी में शिव मंत्र सुन, शंम्भु धाम को जात ॥२९॥
दृष्टान्तकथा - काशी में मृत्यु के समय प्राणी भगवान् श्री शंकरजी तारक मंत्र सुनते हैं । उसके श्रवण मात्र ही प्राणी कैलाश धाम को प्राप्त होता है । यह प्रसिद्ध है ।
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*॥ श्रवण से मृतक के भी जीवित और ज्ञानी ॥*
मरा हुआ भी श्रवण से, जीवित हो अरु ज्ञानि ।
अमर कथा सुन अंड भी, भया परम विज्ञानि ॥३०॥
दृष्टान्तकथा - अमरनाथ धाम में जब पार्वतीजी को भगवान् श्री शंकरजी अमरकथा सुनाने लगे थे तब पार्वतीजी को तो नीद आ गयी और वहां एक तोता का अंडा मरा पड़ा था वह जीवित होकर ज्ञान को प्राप्त हो गया था ।
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जब शंकरजी को ज्ञात हुआ कि पार्वती तो सो गयी और यह कथा इस पक्षी ने सुनी है, तब उन्होंने उसका पीछा किया । वह व्यासजी के आश्रम पर आया और व्यासजी के मुख में घुस गया । यह देख महादेवजी लौट गए । फिर वही व्यास पुत्र होकर परम ज्ञानी शुकदेव मुनि के नाम से प्रसिद्ध हुआ इससे ज्ञात होता है कि श्रवण से मरा हुआ भी जीवित होकर परम ज्ञानी हो जाता है ।
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सन्त तुलसीदासजी ने भी एक मृतक की स्त्री को सुहागनि होने का आशीर्वाद दिया था । जब उन्हें ज्ञात हुआ कि इसके पति का शव तो जलाने के लिए लेजा रहें, तब उन्होंने उसे राम मन्त्र सुना कर जीवित कर दिया था । यह कथा तुलसीदासजी के जीवन चरित्र में प्रसिद्ध है ।

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