🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*#पं०श्रीजगजीवनदासजीकीअनभैवाणी*
https://www.facebook.com/DADUVANI
*श्रद्धेय श्री महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी बाबाजी के आशीर्वाद से*
*वाणी-अर्थ सौजन्य ~ Premsakhi Goswami*
.
*१८. साध को अंग ~ २०५/२०८*
.
निस सपनौं रस रांम बिन, दिनकर किरण प्रकास ।
सिरि सोभा सिरिपति अगम, सु कहि जगजीवनदास ॥२०५॥
संतजगजीवन जी कहते हैं कि रात जैसे स्वप्न से बीतती है यदि उसमें स्मरण न हो तो वह व्यर्थ है ऐसे ही दिन बिना प्रकास से प्रारम्भ हो बीत जाये तो सब व्यर्थ है इन्हें प्रभु समर्पित हो कर बीतना चाहिए ।
.
दिन सूरज निसि चंद्रमा, ग्रह दीपक प्रकास ।
इनके नैंननि जग फिरै, सु कहि जगजीवनदास ॥२०६॥
संतजगजीवन जी कहते हैं कि दिवस तो सूर्य व रात्रि चंद्र व ग्रह जो है वे दीपक हैं इन्हीं के बल से जो इन नैत्रों द्वारा हम संसार देखते हैं वह ही धन्य है ।
.
जन नैंना३ अनभै बयन४, सहज सुन्नि५ अजुवास६ ।
रैन दिवस इक नांम है, सु कहि जगजीवनदास ॥२०७॥
(३. जन नैना=साधक की सम्यग्दृष्टि) (४. अनभै वयन=गुरु का अनुभव उपदेश) (५. सहज सुन्नि=सहज समाधि द्वारा आराधित शून्य तत्त्व)
(६. अजुवास=उजवास=उपर्युक्त तीनों साधनों के माध्यम से कृत प्रयत्न)
संतजगजीवन जी कहते हैं कि लोग हमें दिखाते हैं तो वे हमारे नैत्र है अनुभव जो होता है वह वचन है । फिर उसमें सहज शून्य समाधि में जो आराधना है वह नैत्र अनुभव व समाधि के प्रयासों का परिणाम है रात दिवस तो एक मापक है ।
.
रांम चश्म७ सूझै सकल, ज्यूं दिन सूर प्रकास ।
दीपक मंदिर रैण ससि, सु कहि जगजीवनदास ॥२०८॥
(७. राम चश्म=राममयी दृष्टि)
संतजगजीवन जी कहते हैं कि राममय दृष्टि हो तो सब सूझता है जैसै दिन में सूर्य के प्रकाश से सब सूझता है । जैसे मंदिर में दीपक रात्रि में चंद्र प्रकाश से दिखता है ऐसे ही राममयी दृष्टि से ही राम दिख सकते हैं ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें