🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
🌷 *#श्रीरामकृष्ण०वचनामृत* 🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*मन माणिक मूरख राखि रे, जण जण हाथ न देहु ।*
*दादू पारिख जौंहरी, राम साधु दोइ लेहु ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ मन का अंग)*
===============
साभार ~ श्री महेन्द्रनाथ गुप्त(बंगाली), कवि श्री पं. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’(हिंदी अनुवाद)
साभार विद्युत् संस्करण ~ रमा लाठ
.
*(३)पुरुषप्रकृति-विवेक-योग । राधा-कृष्ण कौन हैं ?*
.
श्रीरामकृष्ण टहल रहे हैं, कभी घर के भीतर, कभी घर के दक्षिण ओर के बरामदे में कभी घर के पश्चिम ओर के गोल बरामदे में खड़े होकर गंगा-दर्शन कर रहे हैं । कुछ देर बाद फिर छोटी खाट पर बैठे । दिन के तीन बज चुके हैं ।
.
भक्तगण फिर जमीन पर आकर बैठे । श्रीरामकृष्ण छोटी खाट पर चुपचाप बैठे हैं । रह-रहकर घर की दीवार की ओर देख रहे हैं । दीवार पर बहुत से चित्र हैं । श्रीरामकृष्ण की बाई ओर श्रीवीणापाणि का चित्र है । उससे कुछ दूर पर नित्यानन्द और गौरांग भक्त-समाज में कीर्तन कर रहे हैं । श्रीरामकृष्ण के सामने ध्रुव, प्रह्लाद और जगन्माता काली की मूर्ति है, दाहिनी ओर दीवार पर राजराजेश्वरी की मूर्ति है ।
.
पीछे ईसा की तस्वीर है - का पीटर डूबे जा रहे हैं और ईसा पानी से निकाल रहे हैं । एकाएक श्रीरामकृष्ण ने मास्टर से कहा - “देखो, घर में साधुओं और संन्यासिओं का चित्र रखना अच्छा है । सुबह उठकर दूसरे का मुँह देखने से पहले साधुओं और संन्यासिओं का मुख देखकर उठना अच्छा है । दीवार पर अंग्रेजी तस्वीर - धनी, राजा और रानी की तस्वीरें - रानी के लड़कों की तस्वीरें - साहब और मेम टहल रहे हैं, उनकी तस्वीरें - इस तरह की तस्वीरें आदि रखना रजोगुणी के लक्षण हैं ।
.
"जिस तरह के संग में रहा जाता है, वैसा ही स्वभाव भी हो जाता है । इसीलिए तस्वीरों में भी दोष है । फिर मनुष्य जैसा है, वैसे ही संगी भी खोजता है । जो परमहंस होते हैं, वे पाँच-छ: साल के दो-चार लड़के अपने पास रख लेते हैं - उन्हें पास बुलाया करते हैं । उस अवस्था में बच्चों के बीच रहना खूब सुहाता है । बच्चे सत्त्व, रज और तम किसी गुण के वश नहीं हैं । "पेड़ देखने पर तपोवन की याद आती है, ऋषियों के तपस्या करने का भाव जाग जाता है ।”
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें