शनिवार, 4 अप्रैल 2015

= ९० =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
यहु घट बोहित धार में, दरिया वार न पार ।
भैभीत भयानक देखकर, दादू करी पुकार ॥
कलियुग घोर अंधार है, तिसका वार न पार ।
दादू तुम बिन क्यों तिरै, समर्थ सिरजनहार ॥
दादू कहै- गरक रसातल जात है, तुम बिन सब संसार ।
कर गहि कर्त्ता काढि ले, दे अवलम्बन आधार ॥
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साभार : भारद्वाज भारद्वाज ~

*प्राकृतिक आपदा की त्रासदी----प्रार्थना की शक्ति*

जो व्यक्ति प्राकृतिक आपदा की त्रासदी में सक्रीय वहाँ जाकर सहायता नहीं कर सकते तो उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं .........
आप वह कार्य कर सकते हैं जो वहाँ जाकर करने से अधिक नहीं तो कम भी नहीं.......
परन्तु पहले यह सोच लीजिये कि क्या आपको अपने ईष्ट पर विश्वास है ? ...
यदि नहीं तो आप कुछ नहीं कर सकते और यदि है तो.......
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आज से ही आप अपने अपने ईष्ट [जिस पर आप १००% विश्वास करते हैं] से एक प्रार्थना आत्यंतिक रूप से द्रवित ह्रदय से कीजिए कि जो वहा हुतात्मा हुए [देहांत हो गया जिनका] उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें... 
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जो फंसे हैं उन्हें शीघ्रातिशीघ्र वहाँ सुरक्षित निकाल न संभव हो, और अब अधिक विपत्ति नहीं आये और यदि आये तो हमें उसे झेलने की शक्ति प्राप्त हो......
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या प्रार्थना करते समय आपदा की स्थिति में दुखी लोगों का दर्द अपने स्वयं के ह्रदय में अनुभव अवश्य करिए और आपके नेत्र सजल हो जाने चाहिए .......
भगवान् अवश्य सुनेंगे.....
क्या आपको विश्वास नहीं मेरी इस बात पर ??????
अपने ईष्ट पर ???????????
यदि है तो आज से ही प्रतिदिन एक प्रार्थना .......
जय प्रभुजी

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