सोमवार, 11 जुलाई 2022

*अष्टपदी सुर देव पुजायो*

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
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*दादू सिरजनहारा सबन का, ऐसा है समरत्थ ।*
*सोई सेवक ह्वै रह्या, जहँ सकल पसारैं हत्थ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ विश्वास का अंग)*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*भूप कहै जरिहूं अनि बात न,*
*ज्ञान सबै मम छार मिलायो ।*
*स्वामि कहै बहु मानत नांहि सु,*
*अष्टपदी सुर देव पुजायो ॥*
*भूप बहौ शरमावत चावत,*
*घात करूं कछु भाव न आयो ।*
*आप करयो सनमान पधारत,*
*किंन्दुबिलै परचाहु सुनायो ॥२५०॥*
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राजा ने कहा- मेरा सब ज्ञान रानी ने धूल में मिला दिया है। जयदेव जी ने बहुत कहा जलो नहीं।
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किन्तु वह मानता ही नहीं था। तब गीतगोविन्द की सुन्दर अष्टपदी के द्वारा देवों के देव परमात्मा की स्तुति करते हुये पूजा की तब पद्मावतीजी जीवित होकर आप भी साथ में स्तुति गाने लगी।
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राजा बहुत शर्माता था और चाहता था कि- आत्मघात कर लूँ, क्योंकि मेरे मन में भक्ति भाव कुछ भी नहीं आया है। जयदेवजी ने बहुत प्रकार उपदेश देकर समझाया तथा राजा का सन्मान किया।
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फिर वे अपने ग्राम केन्दुबिल्व में पधार गये। चतुरदासजी कहते हैं- राघवदासजी ने जो जयदेवजी का चरित्र नहीं कहा था सो मैने जैसा सुना था वैसा ही सुना दिया है।
(क्रमशः)

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