शनिवार, 16 जुलाई 2022

*अन्न कि सोलह रोटि सु पाई ॥*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*दादू देख हरि पावा, हरि सहजैं संग लखावा ।*
*पूरण परम निधाना, निज निरखत हौं भगवाना ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पद्यांश. ७८)*
===========
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
.
(इन्दव)
*त्रिलोचनजी*
*सन्त इसो सद-रूप हो साहिब,*
*आप तिलोचन से गुदराई ।*
*मैं हूं अनाथ रहूँ भृत्य काहु के,*
*जो कोई प्रीति निबाहै रे भाई ॥*
*दास तिलोचन ले गृह आये हैं,*
*राम की पै तब रोटि कराई।*
*राघो कहै जन के हित को शुचि,*
*अन्न कि सोलह रोटि सु पाई ॥२३२॥*
त्रिलोचन ऐसे संत हुये हैं कि उनके लिये भगवान ने तत्काल सेवक का रूप बनाया और स्वयं ने त्रिलोचन के पास जाकर कहा- मैं अनाथ हूँ, यदि कोई प्रीति से मेरा निर्वाह कर सके तो भैया! मैं किसी के नौकर रह सकता हूँ।
.
तब त्रिलोचनदास उनको अपने घर ले आये और अपनी धर्मपत्नी से रोटी बनवाई। वह भक्त का प्रेमयुक्त शुद्ध अन्न था, इसलिये रामजी ने मोटी मोटी सोलह रोटी खाई थी ॥२३२॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें