गुरुवार, 15 सितंबर 2022

*जब मैं साँचे की सुधि पाई*

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*जब मैं साँचे की सुधि पाई ।*
*तब तैं अंग और नहीं आवै, देखत हूँ सुखदाई ॥*
*ता दिन तैं तन ताप न व्यापै, सुख दुख संग न जाऊँ ।*
*पावन पीव परस पद लीन्हा, आनंद भर गुन गाऊँ ॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पद्यांश. ३४४)*
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*साभार ~ @बाबू लाल शर्मा बौहरा,विज्ञ*
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मन माला मुक्ताभरण, ईश भक्ति में मग्न ।
गुरु दादू करिए कृपा, दैहिक हों संलग्न ॥
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ज्येष्ठ माह भू संत जन, रवि तपते शुभ हेतु ।
गुरु दादू करिए कृपा, मनुज सृष्टि प्रभु सेतु ॥
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दीन दयाल कृपालु हरि, भक्तों के प्रतिपाल ।
गुरु दादू करिए कृपा, विघ्न व्याधि दुख टाल ॥
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कनक देह धरती तपे, बढ़़ता तभी महत्व ।
गुरु दादू करिए कृपा, मिले अग्गि का सत्व ॥
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तपे धरा तब मेह से, जलधर देते नेह ।
गुरु दादू करिए कृपा, मिले मनोरथ देह ॥
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तपे सृष्टि उपकार हित, रवि भू संत सुजान ।
गुरु दादू करिए कृपा, प्राकृत रहित गुमान ॥
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देह पराक्रम धन घटे, निभे देव- नर मेल ।
गुरु दादू करिए कृपा, 'विज्ञ' भाग्य हरि खेल ॥
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हार थके नर कर्म कर, मिले लिखे जो भाग्य ।
गुरु दादू करिए कृपा, चाह भक्ति वैराग्य ॥
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कर्म और संयोग मिल, बने मनुज का भाग्य ।
गुरु दादू करिए कृपा, 'विज्ञ' सृजक हो वाग्य ॥
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यह जग कर्म प्रधान है, तन साधन मन साध्य ।
गुरु दादू करिए कृपा, तुम प्रभु मम आराध्य ॥
✍©
@बाबू लाल शर्मा बौहरा, विज्ञ
निवासी - सिकन्दरा, दौसा
राजस्थान ३०३३२६



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