🌷🙏 🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 卐 *सत्यराम सा* 卐 🙏🌷
🌷🙏 *#संतटीलापदावली* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*राम ! सुनहुन विपति हमारी हो,*
*तेरी मूरति की बलिहारी हो ॥टेक॥*
*मैं जु चरण चित चाहना, तुम सेवक-सा धारना ॥१॥*
*तेरे दिन प्रति चरण दिखावना, कर दया अंतर आवना ॥२॥*
*जन दादू विपति सुनावना, तुम गोविन्द तपत बुझावना ॥३॥*
.
*संत टीला पदावली*
*संपादक ~ ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल*
*साभार विद्युत संस्करण ~ महन्त रामगोपालदास तपस्वी तपस्वी*
===========
राग धनाश्री ॥१४॥
म्हारै कब घरि आवै रामंजी, जाको प्यंड परांणौं रे ।
यहु अचेत है आतमां, हरि है चतुर सुजाणौं रे ॥टेक॥
नष सिष साजि षड़ी रही, ऊभी देषै बाटो रे ।
अरस परस सुष लीजिये, तब सुफल होइ सब गातो रे ॥
बिरहणिं म्हारी आतमां, अब यहु करै पुकारो रे ।
जबहीं देषौं नैंन भरि, तबहीं होइ अधारो रे ॥
जीव डरै यहु१ काल थैं, निसदिन कंपत जाए२ रे ।
क्यूं जीऊं हूं एकली३ बेगा, प्रगटहु आए४ रे ॥
दीन जांनि किरपा करौ, जिय५ की यहु अरदासि हो ।
टीलौ६ जीव चरणां रहै, सदा तुम्हारे पासि हो ॥५०॥
(पाठान्तर : १. यौं, २. जाए, ३. येकली, ४. आये, ५. जिव, ६. टीला)
.
मेरे घर में मेरे प्रियतम रामजी कब आएँगे ? मेरा शरीर परांणौ=पड़ने ही वाला है । शरीर में से प्राणों का निष्क्रमण होने ही वाला है । मेरी आत्मा अचेत=असावधान है जबकि प्रियतम हरि परम चतुर सुजान है ।
.
विरहनी नख से लेकर शिखा पर्यन्त सजधजकर खड़ी-खड़ी आपकी राह देख रही है । हे प्रियतम ! विरहनी से अरस-परस होकर मिलन का सुख प्राप्त करिए जिससे कि मेरा शरीर धारण करना सफल हो जाए ।
.
मेरी आत्मा विरहनी है । अब यह आपसे मिलने के लिए पुकार कर रही है । जब आपको यह नयन भरके देखेगी तब ही इसको राहत मिलेगी ।
.
मेरा जीव काल के भय से भयभीत है । दिन-रात उसके भय से मेरा शरीर कँपकँपाता है । मैं तुम्हारे बिना अकेली जीऊँ भी तो क्यों जीऊँ । हे प्रियतम ! मुझे जीवित देखना चाहते हो तो तत्काल मेरे सामने प्रकट हो जाओ ।
.
मुझको दीन-हीन समझकर कृपा करो । मेरे सच्चे मन की यही प्रार्थना है । टीला की प्रार्थना है, आप मुझ पर ऐसी कृपा करो कि सदैव मेरा जीव आपके चरणों के पास ही पड़ा रहे ॥५०॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें