🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*रात दिवस का रोवणां, पहर पलक का नांहि ।*
*रोवत रोवत मिल गया, दादू साहिब माँहि ॥*
===============
*साभार ~ @Subhash Jain*
.
*❁━━━━━•❅••❁••❅•━━━━━❁*
_*आंख मत मांगो, आंसू मांगो*_
*❁━━━━━━━━━━━━━━━━❁*
*लाओत्सु ने कहा है: पत्थर से मत सीखो, सीख लो जलधार से सब राज।*
जलधार कोमल है, स्त्रैण है, सुकुमार है। तोड़ देती है कठोर से कठोर पाषाण को। बड़े-बड़े शिलाखंड रेत होकर बह जाते हैं। जब पहली दफा जलधार गिरी होगी पत्थरों पर तो पत्थरों को खयाल भी न आया होगा कि हम और टूट जायेंगे। इस क्षीण-सी जलधार के मुकाबले, इस स्त्रैण जलधार के मुकाबले हमारा पुरुष हार जायेगा; सोचा भी न होगा।
.
जो सदियों-सदियों से वहां टिके थे, समय आया और गया, हजारों-हजारों ऋतुएं आईं और गईं, न मालूम कितने सूरज उगे न मालूम कितने चांद ढले और जो पत्थर सदा से वैसे के वैसे रहे थे, समय जिनका कुछ भी न बिगाड़ पाया था--यह जलधार कुछ बिगाड़ लेगी ! पत्थर हंसे होंगे। मगर जल्दी ही पता चलता है कि कोमल जलधार पत्थर को तोड़ जाती है।
.
ऐसे ही आंसू गिरने शुरू हो जायें तुम्हारे। आंख मत मांगो, आंसू मांगो--और पत्थर टूट जायेंगे। आंसू पिघलाते हैं हृदय के पथरीलेपन को, आंसू बहा ले जाते हैं हृदय के आस-पास जो दीवालें बनी हैं उनको। और तब तुम्हारे भीतर से एक सुवास उठनी शुरू होती है। फिर तुम जो बोलो वही प्रार्थना है। फिर तुम जो करो वही अर्चना है। फिर तुम जहां बैठो-उठो वही उपासना है।
*🙏_ओशो_🙏*

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें