सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

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🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
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*दादू मृतक काढ मसाण तैं,*
*कहु कौन चलावै ।*
*अविगत गति नहिं जाणिये,*
*जग आन दिखावै ॥*
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*साभार ~ @Tilak*
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श्री कृष्ण और बलराम गुरुकुल की शिक्षा पूर्ण हो जाती है। ऋषि संदीपनि गुरु माँ के पास श्री कृष्ण और बलराम आ जाते हैं और उनसे अपनी विद्या देने की गुरु दक्षिणा माँगने की बात करते हैं। गुरु दक्षिणा के रूप में ऋषि संदीपनि श्री कृष्ण और बलराम से कहते हैं की मेरे द्वारा दी गयी विद्या और शक्तियों का अच्छे कार्यों में ही इस्तेमाल करोगे।
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इसके पश्चात श्री कृष्ण और बलराम गुरु माँ से गुरु दक्षिणा माँगने को कहते हैं और जब गुरु माँ उन्हें कहती हैं की उनका बहुत समय पहले उनका पुत्र मार गया था क्या तुम उसे वापस ला सकते हो। गुरु माँ दुखी होते हुए श्री कृष्ण से उनके वचन से मुक्त कर देती हैं क्योंकि कोई भी इस वचन को पूरा नहीं कर सकता। श्री कृष्ण ऋषि संदीपनि और गुरु माँ को उनके पुत्र पुनर्दत्त से मिलवाने का वचन देते हैं।
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श्री कृष्ण समुद्र किनारे जाते हैं जहां वह स्नान करते हुए डूब जाता है। श्री कृष्ण समुद्र राज से पुनर्दत्त को वापस माँगते हैं तो समुद्र राज उन्हें समुद्र में एक पाँचजन्य नाम का राक्षस है पुनर्दत्त ज़रूर उसी के पास होगा। श्री कृष्ण और बलराम पाँचजन्य राक्षस के पास समुद्र की गहरायी में जाते हैं। श्री कृष्ण और बलराम समुद्र में पुनर्दत्त को खोजने के लिए जाते हैं और वहाँ श्री कृष्ण पाँचजन्य नाम के राक्षस से युद्ध करके उसे मार देते हैं।
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पाँचजन्य जिस शंख में छुपा बैठा था श्री कृष्ण उसे अपने साथ ले जाते हैं और उसे पाँचजन्य शंख का नाम देते हैं। श्री कृष्ण पुनर्दत्त को खोजने के लिए यमराज के पास जाते हैं। यमलोक के द्वारपाल उन्हें अंदर जाने से रोक लेते हैं। जिस पर श्री कृष्ण उन्हें समझाते हैं लेकिन द्वारपाल उन्हें नहीं जाने देते तो श्री कृष्ण अपने पाँचजन्य शंख से शंखनाद करते हैं जिसे सुन यमराज उन पर यमदंड से प्रहार करते हैं जो श्री कृष्ण से टकरा कर वापस चला जाता है जिसे देख यमराज समझ जाते हैं की द्वार पर ज़रूर को आम मनुष्य नहीं बल्कि कोई देवता हैं।
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यमराज स्वयं बाहर जाते हैं और श्री कृष्ण को वहाँ पाकर उनसे क्षमा माँगता हैं। श्री कृष्ण यमराज से पुनर्दत्त को वापस माँगते हैं तो वो उन्हें पुनर्दत्त वापस कर देते हैं। श्री कृष्ण और बलराम पुनर्दत्त को वापस ऋषि संदीपनि के आश्रम में ले जाते हैं। ऋषि संदीपनि और गुरु माँ पुनर्दत्त को वापस पाकर बहुत खुश होते हैं। गुरु माँ श्री कृष्ण को आशीर्वाद के साथ धन्यवाद करती हैं। श्री कृष्ण और बलराम ऋषि संदीपनि और गुरु माँ से विदा लेकर वापस मथुरा लौट जाते हैं।

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