सोमवार, 23 अक्टूबर 2023

= १३४ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*काया मांही भय घणा, सब गुण व्यापैं आइ ।*
*दादू निर्भय घर किया, रहे नूर में जाइ ॥*
===============
*साभार ~ @Subhash Jain*
.
ध्यान रखना, परमात्मा प्रतिपल नया है। परमात्मा पुराने को मानता ही नहीं। इसलिए तो बूढ़े को हटाता है, बच्चे को जन्म देता है। सूखे पते को गिराता है। अनुभवी पत्ता गिरा देता है, नई कोंपल उगाता है..अनुभव-शून्य। क्योंकि, अनुभव विकृत कर देता है। अनुभव बोझ हो जाता है। अनुभव को अकड़ आ जाती है। अनुभव की सड़ांध है। अनुभव की दुर्गंध है।
निर्दोष कोंपल उगती है..अनुभव-शून्य। उसकी ताजगी और! परमात्मा का भरोसा नई कोंपल पर है। इसलिए परमात्मा प्रतिपल नया हो रहा है। उसने कभी कोई पीछे अतीत में सृष्टि करके और कारबार बंद नहीं कर दिया है; वह सृष्टि प्रतिपल कर रहा है।
सृजन एक शाश्वत, सनातन, सतत, प्रक्रिया है; इस क्षण भी हो रहा है। नहीं तो कैसे नई पत्तियां आयेंगी ? कैसे अंडे फूटेंगे, नये पक्षी उड़ेंगे ? कैसे नया बीज टूटेगा, नये अंकुर आयेंगे ? कैसे नये निर्मित होंगे, कैसे नये का जन्म होगा ?
परमात्मा प्रतिपल नये को जन्म दे रहा है। परमात्मा का भरोसा तो नये में है।
ओशो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें