सोमवार, 25 दिसंबर 2023

= ४० =

*🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷*
*🌷🙏 卐 सत्यराम सा 卐 🙏🌷*
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*दादू सांई कारण मांस का, लोही पानी होइ ।*
*सूखे आटा अस्थि का, दादू पावै सोइ ॥*
===============
*साभार ~ @Subhash Jain*
.
दादू सांई कारण मांस का, लोही पानी होइ ।
सूखै आटा अस्थि का, दादू पावै सोइ ॥
उस परमात्मा को पाने जो चलता है, उस महासंपदा को पाने जो चलता है, ये सब छोटे कंकड़-पत्थर सब छूट जाते हैं। मांस का खून पानी हो जाता है।
.
सूखै आटा अस्थि का, दादू पावै सोइ॥
अस्थियों में छिपी मज्जा सूख जाती है, तो ही उस परमात्मा का मिलन होता है। दूभर है मार्ग। कठिन है यात्रा। संतों ने कहा: खड्ग की धार। क्योंकि जैसे ही तुम रूपांतरित होना शुरू करोगे, तुम‌ कठिनाई में पड़ोगे। 
.
समाज तो तुम्हारे साथ नहीं बदलेगा। तुम अकेले पड़ जाओगे, तुम अजनबी हो जाओगे। अपनों के बीच पराए। लोग तुम पर संदेह करने लगेंगे। तुम सच्चे हो रहे हो, तुम इन्हें गलत होते हुए मालूम पड़ोगे; क्योंकि भीड़ गलत है। 
.
तुम्हारे जीवन में आनंद आ रहा है, लेकिन वे समझेंगे कि तुम पागल हो रहे हो। तुम्हारे जीवन में रोशनी आ रही है, लेकिन वे समझेंगे कि तुम सम्मोहित हो गए हो। तुम्हारे जीवन में शांति उतर रही है, लेकिन वे हंसेंगे। 
.
क्योंकि हंसी के द्वारा ही वे अपनी आत्मरक्षा कर सकते हैं। वे तुम्हारा व्यंग्य करेंगे, क्योंकि व्यंग्य ही उनकी सुरक्षा है। यद्यपि भीड़ उनकी है, बहुमत उनका है। इसलिए वे जो भी कहेंगे, उसके पीछे भीड़ का बल होगा। 
.
तुम अकेले पड़ जाओगे।इस संसार में अकेले पड़ जाना बड़ा कठिन काम है। एकाकी है यात्रा। रवींद्रनाथ ने गाया है: एकला चलो रे। क्योंकि इस रास्ते पर दो तो चल ही नहीं सकते। अकेले चलना होगा-असुरक्षित, असहाय ।
.
लेकिन ध्यान रखना, एक बार तुमने हिम्मत कर ली इस भीड़ की नासमझी के बाहर होने की कि परमात्मा का बल तुम्हारे साथ है। यह बल भी कोई बल है! यह धोखा है बल का। इसके लिए तो तुम निर्बल ही हो जाओ तो अच्छा। क्योंकि संत कहते हैं: निर्बल के बल राम । इधर जो निर्बल हुआ, वहां परमात्मा का बल मिल जाता है।
ओशो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें