शनिवार, 13 जनवरी 2024

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*🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷*
*🌷🙏 卐 सत्यराम सा 卐 🙏🌷*
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*दादू झूठे के घर देख कर, झूठे पूछे जाइ ।*
*झूठे झूठा बोलते, रहे मसाणों आइ ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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कल किसी ने मुझे प्रश्न पूछा था ?
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शिरडी के साईं बाबा मरने के पहले कह गए : घबड़ाओ मत ! जो मुझे भजेगा; मरने के बाद भी मैं उसकी सहायता को मौजूद रहुगा। जो मेरी शरणगति में रहेगा; मैं भागा हुआ आऊँगा। जो मुझे पुकारेगा, उसकी पुकार खाली न जाएगी।
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मुझे पता नहीं की शिरडी के साईं बाबा कह गए या नहीं कह गए; मगर यही चल रहा है। शिरडी के साईं बाबा की मजार पर लोग जो इकठ्ठा हो रहे है; उन्ही आश्वासनों के कारण। पता नहीं उन्होंने दिए के नही। मैं नहीं सोचता की दिए होंगे; क्योकि वे आदमी इस तरह की बातें कहनेवाले आदमी न थे।
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लेकिन इरजाद कर लिए होंगे पंडितो ने, पुरोहितो ने। जो उनके पीछे मजार के मालिक हो गए है; उन्होंने इरजाद कर लिए होंगे ये शब्द। और उन्हीं शब्दो के सहारे सारा का सारा धंधा चल रहा है। आदमी यही तो चाहता है की जब पुकारूं, शिरडी के साईं बाबा भागे चले आएं, इधर आवाज दूँ, उधर वे हाजिर।
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इधर घंटी बजाई कि उधर वे हाजिर। तुमने शिरडी के साईं बाबा को कोई होटल का बैरा समझा है ? तुम पागल हो गए हो !!! कोई सदगुरु ऐसा भागा-वागा नही आता और न आने की कोई जरूरत है।
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सदगुरु का काम तुम्हे निर्भर बनाना नहीं है, तुम्हे मुक्त करना है; तुम्हे इस योग्य बनाना है की किसी की कोई जरूरत ही न रह जाये। भगवान की कोई जरूरत न रह जाये; तभी समझना की सदगुरु ने तुम्हे कोई साथ दिया। कोई जरूरत न रह जाये; तुम अपने पैरो पर खड़े हो जाओ; तुम अपनी निजता में आरूढ़ हो जाओ। इस अवस्था को ही कृष्ण ने स्थितप्रज्ञ की अवस्था कहा है।
|| ओशो ||
आपुई गई हिराइ
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