*🌷🙏🇮🇳 #daduji 🇮🇳🙏🌷*
*🌷🙏 卐 सत्यराम सा 卐 🙏🌷*
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*दादू धरती ह्वै रहै, तज कूड़ कपट अहंकार ।*
*सांई कारण सिर सहै, ताको प्रत्यक्ष सिरजनहार ॥*
=============
*साभार ~ @Subhash Jain*
.
यह घटना ऐसे घटी कि मैं एक जंगल गया था लाओत्से ने कहा : और वहां मैंने लोगों को लकड़ियां काटते देखा। बड़े-बड़े दरख्त काटे जा रहे थे ऊंचे-ऊंचेदरख्त काटे जा रहे थे। सारा जंगल कट रहा था। बढ़ई लगे हुए थे और जंगल कट रहाथा।
.
लेकिन बीच जंगल में एक बहुत बड़ा दरख्त था इतना बड़ा दरख्त था कि उसकी छाया इतने दूर तक फैल गई थी वह इतना पुराना और प्राचीन मालूम होता था कि उसके नीचे एक हजार बैलगाड़ियां विश्राम कर सकती थीं इतनी उसकी छाया थी। तो मैंने अपने मित्रों से कहा कि जाओ और पूछो इस दरख्त को कोई क्यों नहीं काटता है ?
.
यह दरख्त इतना बड़ा कैसे हो गया ? जहां पूरा जंगल कट रहा है वहां एक इतना बड़ा दरख्त कैस ? जहां सब दरख्त डूंठ रह गए हैं जहां नये दरख्त काटे जा रहे हैं रोज वहां यह इतना बड़ादरख्त कैसे बच रहा ? इसको क्यों लोगों ने छोड़ दिया ?
.
तो मेरे मित्र और मैं वहां गया और मैंने वृद्ध बढ़इयों से पूछा जो लकड़ियां काटते थे कि यह दरख्त इतना बड़ा कैसे हो गया ?
उन्होंने कहा : यह दरख्त बड़ा अजीब है। यह दरख्त बिलकुल साधारण है। इसके पत्ते कोई जानवर नहीं खाते। इसकी लकड़ियों को जलाया नहीं जा सकता वे धुंआ करती हैं। इसकी लकड़ियां बिलकुल एड़ी-टेढ़ी है इनको काट कर फर्नीचर नहीं बनाया जा सकता, द्वार-दरवाजे नहीं बनाए जा सकते।
.
यह दरख्त बिलकुल बेकार है बिलकुल साधारण है। इसलिए इसको कोई काटता नहीं। लेकिन जो दरख्त सीधा है और ऊंचा गया है उसे काटा जाता है उसके खंभे बनाए जाते हैं।
लाओत्से हटा और वापस लौट आया। और उसने कहा : उस दिन से मैं समझ गया कि अगर सच में तुम्हें जीवन में बड़ा होना है तो उस दरख्त की भांति हो जाओ जो बिलकुल साधारण है जिसके पत्ते भी अर्थ के नहीं जिसकी लकड़ी भी अर्थ की नहीं।
.
तो उस दिन से मैं वैसा ही दरख्त हो गया बेकार। मैंने फिर सारी महत्वाकांक्षा छोड़ दी – बड़ा होने की ऊंचा होने की। असाधारण होने की सारी दौड़ छोड़ दी। क्योंकि मैंने पाया कि जो ऊपर होना चाहेगा वह काटा जाएगा। मैंने पाया कि जो बड़ा होना चाहेगा वह काट कर छोटा कर दिया जाएगा। मैंने पाया कि प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा में महत्वाकांक्षा में सिवाय मृत्यु के और कुछ भी नहीं है।
.
और तब मैं अति साधारण जैसा मैं था ना-कुछ, चुपचाप वैसा ही बैठ रहा। और जिस दिन मैंने सारी दौड़ छोड़ दी उसी दिन मैंने पाया कि मेरे भीतर कोई अदभुत चीज का जन्म हो गया है। उसी दिन मैंने पाया कि मेरे भीतर परमात्मा के अनुभव की शुरुआत हो गई है।
.
जो व्यक्ति साधारण से साधारण और सरल से सरल होने को राजी हो जाता है सत्य खुद उसके द्वार आ जाता है। और जो व्यक्ति असाधारण होने की विशिष्ट होने की बड़ा होने की, महत्वाकांक्षा होने की, अहंकार को तृप्त करने की दौड़ में पड़ जाता है, उसके जीवन में असत्य घना से घना होता जाता है और सत्य से उसके संबंध सदा के लिए क्षीण होते जाते हैं।
.
अंतत:, अंतत: उसके पास झूठ का एक ढेर रह जाता है और सत्य की कोई भी किरण नहीं। लेकिन जो सरल हो जाता है, सीधा, साधारण, सामान्य, उसके जीवन में झूठ की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती, उसके जीवन में सत्य की किरण का जन्महोता है और सारा अंधकार समाप्त हो जाता है।
.
ये थोड़ी सी बातें मैंने कही हैं सरलता के लिए, इन पर विचार करना, इन परसोचना, अपने जीवन में निरीक्षण करना और देखना कि क्या तुम्हारे जीवन में सरलता बढ़ रही है या जटिलता बढ़ रही है? अगर जटिलता बढ़ रही हो, तो समझना कि तुमने गलत मार्ग चुना है- और जीवन के अंत में तुम्हें विफलता मिलेगी, दुख मिलेगा, पीड़ा, चिंता के अतिरिक्त तुम्हारे हाथ में कुछ भी नहीं आएगा।
.
और अगर तुमने सरलता का मार्ग जीवन में चुना, और स्मरण पूर्वक रोज सरल से सरल होती गईं, तो तुम पाओगी कि बचपन में जो आनंद था, उससे बहुत बड़ा आनंद निरंतर बढ़ता जाएगा। और बुढ़ापा तुम्हारा एक अदभुत गौरव-कलश की भांति होगा, जिसमें आनंद की पूरी छाया, जिसमें आनंद की पूरीअनुभूति, जिसमें एक तरिक सौंदर्य, सत्य का एक बल, और जिसमें आंतरिक रूप से का अनुभव, अमृत उसका अनुभव जिसकी कोई मृत्यु नहीं होती है, उपलब्ध होता है।
.
इन पर तुम विचार करना, इन पर तुम सोचना और अपने जीवन से तौलना कि तुम्हारे जीवन की दिशा क्या है ? स्मरण रहे, जो व्यक्ति भी परमात्मा की दिशा के प्रतिकूल जाता है, वह अपने ही हाथों अपने को नष्ट कर लेता है। और जो व्यक्ति परमात्मा की दिशा में चरण उठाता है, वह धीरे- धीरे विकसित होता है, उसके भीतर अनुभूतियों घनी होती हैं, उसके जीवन में अर्थ आता है, उसके जीवन में बहुत सारी संपदा आती है, और अंतत: उसे कृतार्थता और धन्यता का अनुभव होता है।
जीवन गीत-(प्रवचन-04).OSHO

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें