शनिवार, 27 जनवरी 2024

*काश्मीरी केशव भट्टर्जी*

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*परमार्थ को राखिये, कीजे पर उपकार ।*
*दादू सेवक सो भला, निरंजन निराकार ॥*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*छप्पय-*
*काश्मीरी केशव भट्टर्जी*
*काश्मीरी करता कियो, केशव भट शोभा सरस१ ॥*
*मनुष्यों मांहिं मुख्य, ताप त्रय पाप नशावन ।*
*कर परसी२ हरि भक्ति, विमुख मारग द्रुम३ ढावन ॥*
*परचो४ प्रचुर५ दिखाय, तुरक मधुपुरी हराये ।*
*काजी दिये कढ़ाय, मारि जमुना डरवाये ॥*
*कथा सकल जग में प्रकट, ह्वै पुनीत वाके दरस ।*
*काश्मीरी करता कियो, केशव भट शोभा सरस ॥२७६॥*
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सृष्टिकर्ता ईश्वर ने कश्मीरी केशव भट्टजी को सुन्दर१ शोभायुक्त ही बनाया था ।
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आप मनुष्यों में मुख्य महामानव थे । प्राणियों की तीनों ताप और पापों को नष्ट करने वाले थे । हरि से विमुख प्राणियों के धर्म मार्ग रूप वृक्षों३ को काटने के लिये आपने अपने अन्तःकरण रूप हाथ में हरिभक्त रूप कुल्हाड़ी२ धारण की थी ....
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और बहुत बड़ा४ चमत्कार५ दिखाकर मथुरा में मुसलमानों को हराया था । विश्रान्त घाट के मार्ग में से काजियों को निकालकर तथा मारकर यमुना में डलवा दिया था ।
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यह कथा सब जगत में प्रकट है । उनके काश्मीरी केशवभट्टजी के दर्शन से प्राणी पवित्र होते हैं ॥३८५॥
(क्रमशः)

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