गुरुवार, 25 जनवरी 2024

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*अमर भये गुरु ज्ञान सौं, केते इहि कलि माहिं ।*
*दादू गुरु के ज्ञान बिन, केते मरि मरि जाहिं ॥*
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*साभार ~ @Subhash Jain*
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महात्मा कविवर सुंदरदास जी उन थोड़े से ज्ञानियों में एक हैं, जिन्होंने निःशब्द को शब्द में उतारा; जिन्होंने अपरिभाष्य की परिभाषा की; जिन्होंने अगोचर को गोचर बनाया, अरूप को रूप दिया।
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सुंदरदास जी थोड़े से सदगुरुओं में एक हैं। उनके एक-एक शब्द को साधारण शब्द मत समझना। उनके एक-एक शब्द में अंगारे छिपे हैं। और जरा सी चिनगारी तुम्हारे जीवन में पड़ जाए तो तुम भी भभक उठ सकते हो परमात्मा से। तो तुम्हारे भीतर भी विराट का आविर्भाव हो सकता है। पड़ा तो है ही विराट, कोई जगाने वाली चिनगारी चाहिए। - ओशो

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