रविवार, 14 जनवरी 2024

निम्बार्क संप्रदाय

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*दादू दत्त दरबार का, को साधु बांटै आइ ।*
*तहाँ राम रस पाइये, जहँ साधु तहँ जाइ ॥*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*अथ निम्बार्क संप्रदाय*
*छप्पय-*
*श्री १ नारायण तैं २ हंस ३ तिन्हें सनकादिक बोधे ॥*
*उन ४ नारद ५ निम्बार्क ६ निवासाचार्य शोधे ।*
*७ विश्वाचारज ८ पुरुषोत्तम, ९ विलास १० स्वरूपा ।*
*११ माधवा के १२ बलभद्र, १३ पदमा १४ श्याम अनूपा ॥*
*पुनि १५ गोपाल १६ कृपाचार्य, १७ देवाचारज भन ।*
*१८ सुन्दर भट के १९ वामन भट, तिनके २० ब्रह्मभट गन ॥*
*२१ पद्माकर जग पद्मवत, २२ श्रवणभट को जग सर्वस ।*
*निम्बादित्य आदित्य सम, राघव ये द्वादश रु दस ॥२७३॥*
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१. श्रीनारायण से, २. हंसावतार, ३. सनकादिक-सनक सनन्दन, सनातन, सनतकुमार को उपदेश किया था । सनकादि से, ४. नारद ऋषि, ५. निम्बार्क, ६. निवासाचार्य-इनने जगत के प्राणियों को उपदेश देकर शुद्ध किया था ।
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निवासाचार्य के ७. विश्वाचार्य, विश्वाचार्य के ८. पुरुषोत्तमाचार्य, पुरुषोत्तमाचार्य के ९. विलासाचार्य, विलासाचार्य के १०. स्वरूपाचार्य, स्वरूपाचार्य के ११. माधवाचार्य, माधवाचार्य के १२. बलभद्राचार्य, बलभद्राचार्य के १३. पदमाचार्य, पदमाचार्य के १४. श्यामाचार्य, जो अनुपम हुए हैं,
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श्यामाचार्य के १५. गोपालाचार्य, गोपालाचार्य के १६. कृपाचार्य, कृपाचार्य के १७. देवाचार्य कहे गये हैं । देवाचार्य के १८. सुन्दर भट्ट, सुन्दर भट्ट के (बीच में पद्मनाथ, उपेन्द्र, रामचन्द्र ये तीन आचार्य हुये हैं ।) १९. वामन भट्ट वामन भट्ट के २०. ब्रह्मभट्ट गिने जाते हैं ।
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(कृष्णभट्ट) ब्रह्मभट्ट के २१. पद्माकर जो जगत में कमल के समान निर्लेप रहे हैं । पद्माकर के २२. श्रवण भट्ट, श्रवण भट्ट को जगत का सर्वस्व कहा गया है । निम्बादित्य तो जगत में सूर्य के समान हुये हैं । नारायण से श्रवणभट्ट तक ये २२ आचार्य इस संप्रदाय के हैं ॥२७३॥
(क्रमशः)

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