बुधवार, 28 फ़रवरी 2024

*चतुरा नागाजी*

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*साधु शब्द सुख वर्षहि, शीतल होइ शरीर ।*
*दादू अन्तर आत्मा, पीवे हरि जल नीर ॥*
.
*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
=========
*छप्पय-*
*चतुरा नागाजी*
*चतुरो नागो निशि दिवस, भक्ति करत प्रण प्रेम से ॥*
*मथुरा मण्डल अटन१, भक्त धामन के दरसन ।*
*दे तन धन घर वाम२, किये गुरुदेव हि परसन ॥*
*मिष्ट वचन सुठ३ शील, संत महंतन को सेवत ।*
*उत्तम धर्म अराध, युक्ति करि हरि गुन लेवत ॥*
*महिमा साधु सबै करै, मगन भयो नित नेम से ।*
*चतुरो नागो निशि दिवस, भक्ति करत प्रण प्रेम से ॥२८२॥*
.
चतुरा नागाजी रात दिन प्रण और प्रेम से प्रभु की भक्ति करते थे और मथुरा मंडल के भक्तजनों के स्थानों का दर्शन करने के लिये घूमते१ ही रहते थे । आपने अपना तन, धन, घर और स्त्री२ आदि सर्वस्व देकर गुरुदेव को प्रसन्न किया था ।
.
मधुर वचन बोलते थे । बड़े३ ही शील स्वभाव के थे । संत महन्तों की सेवा करते थे । सर्वश्रेष्ठ भागवद् धर्म के द्वारा ही हरि की आराधना करते थे । युक्तिपूर्वक हरि को प्राप्त कराने वाले गुणों को ही ग्रहण करते थे ।
.
सभी संत आपकी महिमा का गान करते हुए कहते हैं कि आप नित्य नियम पूर्वक प्रभु प्रेम में ही निमग्न रहते थे ॥२८२॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें